मप्र को टीबीमुक्त बनाने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल
भोपाल । मध्यप्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। इसी कड़ी में टीबी मरीजों को अन्य बीमारियों की जांच के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस्तेमाल किया जाएगा। प्रदेश के पांच जिलों सिवनी, मण्डला, राजगढ़, सतना और मंदसौर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत होगी। ट्रेनिंग के बाद टेस्टिंग शुरू की जायेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट एक्सप्रेस इंटरप्रिटेशन सॉफ्टवेयर के जरिये 100 संभावित टीबी के मरीजों की जांच होगी।एनएचएम एमडी प्रियंका दास ने पांचों जिलों में इस सम्बंध में पत्र भेजा है। ट्रेनिंग के लिए एक्स रे टेक्निशियन के नाम मांगे गए है। अगले तीन साल में यानि 2025 तक पूरे देश के साथ ही मप्र को भी टीबी की बीमारी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस टारगेट को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बीते 24 मार्च से वल्र्ड टीबी डे पर एक महीने का विशेष महा अभियान शुरू किया था। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सबसे ज्यादा टीबी के मरीजों की जांच में मप्र ने पांच करोड़ से ज्यादा आबादी वाले राज्यों में पहला स्थान हासिल किया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार सुबह एमपी के हेल्थ मिनिस्टर डॉ.प्रभुराम चौधरी की मौजूदगी में वर्चुअल कार्यक्रम में इसका ऐलान किया। मप्र के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी ने एनएचएम की एमडी प्रियंका दास, स्टेट टीबी ऑफीसर डॉ.वर्षा राय और टीबी प्रोग्राम के अमले को बधाई दी।
7606 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर हुई 2.42 लाख मरीजों की जांच
एक महीने के महा अभियान के तहत मप्र के सभी जिलों में 242987 मरीजों की जांच की गई। प्रदेश के 7606 हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर को टीबी सेवाओं को निक्षय पोर्टल में दर्ज किया गया। यही नहीं टीबी के खोजे गए 81 प्रतिशत मरीजों को प्रतिमाह निक्षय पोषण योजना से दी जाने वाली राशि को सीधे खातों में ट्रांसफर किया गया। पिछले महीने विश्व क्षय दिवस के मौके पर में प्रदेश को सब नेशनल सर्टिफिकेशन के अंतर्गत मप्र के 2 जिलों जिसमें खरगोन को गोल्ड पदक और उज्जैन को कांस्य पदक मिला था।