टैक्स चोरी रोकने अनिवार्य हुआ ऑडिट ट्रेल सॉफ्टवेयर का उपयोग
भोपाल । मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स द्वारा जारी सर्कुलर के बाद कम्पनीज एक्ट में पंजीकृत कंपनियों के लिए 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब कंपनियों में वित्तीय गड़बडिय़ों एवं टैक्स चोरी रोकने के लिए नए वित्तीय वर्ष में ऑडिट ट्रेल वाले सॉफ्टवेयर में हिसाब रखना अनिवार्य किया गया है। इसका पालन नहीं करने पर 50 हजार रुपए तक की पेनल्टी भी लगाई जा सकेगी। यह व्यवस्था वर्तमान में केवल कंपनियों पर लागू होगी, पार्टनरशिप या प्रॉप्राइटरशिप फर्म पर नहीं। इससे न सिर्फ कंपनियों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा, बल्कि कोई भी गलती अब छुपाना लगभग असंभव होगा।
अब तक बहुत सी कंपनियां पायरेटेड या ऐसे सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर अपने खाते रखती थी, जिससे बहीखातों में या अकाउंट की डिटेल में आसानी से कोई भी परिवर्तन किया जा सकता था या बहीखातों के पेज बदल दिए जाते थे, परंतु अब यह संभव नहीं होगा। अब कंपनियों को ऐसा अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर को उपयोग करना होगा, जो एडिट लॉग को बनाए रखने में सक्षम होगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी
सीए इंस्टिट्यूट की रीजनल काउंसिल के सचिव सीए कीर्ति जोशी ने बताया कि नए वित्तीय वर्ष में इस पर टिप्पणी करना ऑडिटर का उत्तरदायित्व होगा कि कंपनी किए गए सभी लेन-देन ऐसे सॉफ्टवेयर में दर्ज किए जा रहे हैं या नहीं, और आगे ऑडिट ट्रेल सुविधा के साथ छेड़छाड़ की गई है या नहीं, और कंपनी ऐसे ऑडिट ट्रेल को संरक्षित कर रही है या नहीं। सरकार ने समग्र प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही के स्तर को बढ़ाने के लिए इस प्रावधान को लागू किया है। ऑडिट ट्रेल्स को कम से कम आठ वर्षों तक संरक्षित रखने की आवश्यकता होगी।