किसके सिर सजेगा ताज, आज खुलेगा राज
भोपाल । नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और पार्षद प्रत्याशियों के मतों की गणना के लिए पुरानी जेल में तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। यहां पर वाटर प्रूफ टेंट, पीने के पानी, टेबल, मीडिया सेंटर सहित तमाम इंतजाम किए गए है। चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों का भाग्य इवीएम में कैद होकर बाहर आने को आतुर है। रविवार को सुबह 9 बजे से मतगणना शुरू होगी। चुनाव में कौन बाजी मारेगा, किसके सिर जीत का सेहरा सजेगा व किसको मायूस होना होगा, ये अटकलें रविवार को दूर होगी। अब मीडियाकर्मी मीडिया सेंटर तक मोबाइल और कैमरा भी ले जा सकेंगे। नगर निगम महापौर और पार्षद पद के प्रत्याशियों को मिले मतों की गणना रविवार सुबह नौ बजे पुरानी जेल स्थित मतगणना स्थल पर पर शुरू हो जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि सबसे पहले डाक मतपत्र की गिनती की जाएगी और उसके आधा घंटे बाद ईवीएम की टेबल के आधार पर गिनती शुरू कर दी जाएगी। पार्षद और महापौर प्रत्याशियों की गिनती एक साथ ही शुरू होगी। पार्षदों की ईवीएम से गिनती एक से दो चरण में पूरी हो जाएगी। जबकि महापौर के लिए कम से कम 13 और अधिकतम 24 चरण होंगे। इसके लिए 133 टेबल लगाई गई हैं। वहीं बिना कार्ड के मतगणना स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
भाजपा में दिखा कॉन्फिडेंस
भाजपा अपने पूर्व कार्यकाल में किए गए कार्यों को गिनाने में लगी थी, उन्हें कॉन्फिडेंस था कि उनके पूर्व कार्यकाल में हुए कार्य के आधार पर जनता उनको अपना मत देगी। लेकिन निकाय चुनाव को लेकर भाजपा में शुरू से ही खींचतान चली आ रही थी, टिकट वितरण से ही गुटबाजी का दौर शुरू हो चुका था। जिसका नतीजा यह रहा था कि कई बागी पार्टी के खिलाफ निर्दलीय के रूप में उभर कर सामने आए थे। जिन्हें पार्टी के वरिष्ठ पदािधकािरयों के ओर से राय मशविरा कर उनसे फार्म वापस उठवा लिए गए लेकिन फिर भी उनके मन में टिकट नहीं मिलने की टीस बनी हुई नजर आ रही थी। जिसका खामियाजा पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है।
कांग्रेस ने वार्ड के ही प्रत्याशियों को दिया अवसर
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घोषणा की थी कि वार्ड के ही लोगों में से उम्मीदवार बनाया जाएगा। इसका कहीं न कहीं फायदा कांग्रेस को होता दिखाई दिया। जिसके चलते वार्ड के ही लोगों में से उम्मीदवार घोषित किए गए। जिनमें कई नए चेहरे थे तो कई कांग्रेस के कार्यकर्ता व पदाधिकारी थे। इसका फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा था। लेकिन कुछ वार्डों में कांग्रेस के ओर से घोषित किए उम्मीदवारों की नकारात्मक छवि के प्रति भी जनता में असंतोष व्याप्त था। जिसका खामियाजा भी कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है।