क्या टूटेगा कम मतदान का रिकॉर्ड?
भोपाल। मप्र में पहले चरण की छह सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में हुए कम मतदान ने चुनाव आयोग के साथ ही पार्टियों को भी चिंता में डाल दिया है। इस बार इन सीटों पर 67 फीसदी मतदान हुआ है। पिछली बार इन सीटों पर औसत 75 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस लिहाज से करीब 8 फीसदी कम वोटिंग हुई है। ऐसे में अब सबकी निगाह भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, सागर और रीवा सीट पर है। दरअसल, इन सीटों पर कम मतदान की परंपरा सी बन गई है। ऐसे में सभी को इस बात का डर सता रहा है कि इन सीटों पर हर बार की अपेक्षा इस बार और कम मतदान हुआ तो क्या होगा?
गौरतलब है की इस बार भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने के लक्ष्य पर काम किया है। वहीं चुनावी आयोग मतदान के लिए लोगों को लगातार जागरूक कर रहा है। लेकिन पहले चरण की छह सीटों पर तकरीबन 8 फीसदी कम मतदान ने सभी को पसोपेस में डाल दिया है। वहीं आयोग की चिंता और बढ़ा दी है। क्योंकि प्रदेश में कुछ लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दलों के प्रयास फेल हो चुके हैं। यहां मतदान प्रतिशत कम रहता है। इससे पूरे प्रदेश का औसत मतदान प्रतिशत भी गिर जाता है। यह संसदीय सीटें चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, सागर और रीवा हैं। पहले चरण के मतदान के बाद चुनाव आयोग और भाजपा दोनों ने अगले चरणों के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदाताओं को जागरूक करना शुरू कर दिया है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार चंबल, बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की भिंड, मुरैना, ग्वालियर, गुना, सागर और रीवा लोकसभा सीटों में से 2019 में गुना को छोड़ दें तो कभी भी 65 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग नहीं हुई। दूसरी ओर प्रदेश की कई आदिवासी बहुल सीटें ऐसी हैं जहां 85 फीसदी के करीब मतदान पहुंच जाता है। भिंड सीट की बात करें तो यहां 2019 में 54.53 प्रतिशत, 2014 में 45.22 प्रतिशत, 2009 में 38.45 प्रतिशत, रीवा 2019 में 60.16 प्रतिशत, 2014 में 53.04 प्रतिशत,2009 में 48.52 प्रतिशत, ग्वालियर 2019 में 59.52 प्रतिशत, 2014 में 52.57 प्रतिशत,2009 में 41.16 प्रतिशत, मुरैना 2019 में 61.77 प्रतिशत, 2014 में 49.90 प्रतिशत, 2009 में53.11 प्रतिशत सागर 2019 में 64.96 प्रतिशत, 2014 में 58.04 प्रतिशत, 2009 में 48.17 प्रतिशत और गुना 2019 में 69.58 प्रतिशत, 2014 में 60.05 प्रतिशत, 2009 में 54.05 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अभी तक का सबसे ज्यादा 71.19 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बावजूद भिंड, रीवा, ग्वालियर और मुरैना में 60 प्रतिशत के आसपास ही मतदान हुआ। भिंड में 55 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पाया। ऐसा तब है जब चुनाव आयोग लगातार स्वीप गतिविधियों के माध्यम से मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रहा है। इस पर करोड़ों रुपए भी खर्च हो रहे हैं। राजनीतिक दल भी अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से वोटर्स को मतदान के लिए प्रेरित करते हैं। इसके बावजूद इन क्षेत्रों के लोग मतदान करने नहीं जाते। यह ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोगों में दबंगई है। वोटिंग के लिए प्रेरित करने को विशेष प्रयास की जरूरत हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के प्रचार में अब वह दम नहीं रहा। लोगों को जब पार्टियां संपर्क कर विशेष महसूस कराएंगी तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ सकता है। दूसरा कारण गर्मी है। यह ऐसे क्षेत्र हैं जहां गर्मी तेज रहती है, इसलिए भी लोग नहीं निकलते। इसके अलावा शादी सीजन भी वजह है। आयोग को विवाह मुहूर्त के दिनों में वोटिंग नहीं कराना चाहिए। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का कहना है कि मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए गतिविधियां चल रही हैं। गर्मी से निपटने सभी बूथों पर छांव, पेयजल और प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था कराई गई है। निश्चित तौर पर मतदान प्रतिशत बढ़ेगा।
प्रदेश में पहले चरण की 6 सीटों पर वोटिंग प्रतिशत घटने से चुनाव आयोग की नींद उड़ गई है। सालों बाद पहली बार हो रहा है कि आयोग वोटिंग को लेकर टेंशन में दिखाई दे रहा है। अगले चरणों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने को लेकर आयोग ने कलेक्टरों को फील्ड में दौड़ा दिया है। साथ ही फरमान जारी किया है कि जागरूकता के लिए वे खुद लोगों के बीच जाएं। जिले के चुनाव अधिकारी लगातार क्षेत्र का दौरा करें। साथ ही चुनाव आयोग ने दीवार लेखन एवं प्रचार के अन्य माध्यमों से भी मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। प्रदेश में दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को 6 सीट टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद में मतदान होना है। इन सीटों पर 2019 में औसत 67.65 फीसदी मतदान हुआ था। ऐसे में आयोग के सामने इतना मतदान कराने की चुनौती है। निर्वाचन कार्यालय के अनुसार पहले चरण के बाद से ही आयोग अगले चरण के मतदान प्रतिशत को लेकर बेहद गंभीर हो गया। नियमित बैठकों में जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ इस मसले पर चर्चा होती है। पहले चरण की अपेक्षा अगले चरणों वाली सीटों पर जिला अधिकारियों ने क्षेत्र के दौरे बढ़ा दिए हैं। गांव-गांव जागरूकता कार्यक्रम हो रहे हैं। जिनमें चुनाव अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही नुक्कड़ नाटक एवं प्रचार रथों के फेरे बढ़ा दिए गए हैं। लोगों को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने के लिए जागरूक किया जा रहा है। मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि मतदान के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अगले चरणों में ज्यादा मतदान होगा। लोग मतदान को लेकर जागरूक हैं। प्रचार रथ चुनाव क्षेत्रों में घूम रहे हैं। दीवार लेखक एवं अन्य प्रचार माध्यम से मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है। मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए जिलों में कलेक्टर अपने स्तर पर कोशिशें कर रहे हैं। जिले के यूथ आइकॉन, समाज के प्रतिनिधि, धर्मगुुरुओं का भी सहारा लिया जा रहा है। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक एवं प्रशासन की टीमें पहुंचकर लोकतंत्र के पर्व में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वोटिंग के आंकड़ों पर नजर डालें, तो पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर 67.64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। सबसे ज्यादा 74.17 प्रतिशत वोटिंग होशंगाबाद में और सबसे कम 60.33 प्रतिशत चोटिंग रीवा में हुई भी। पहले फेज में 19 अप्रैल को मप्र की जिन छह सीटों पर 67.08 प्रतिशत वोटिंग हुई, उन पर 2019 के चुनाव में 75.23 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इस तरह इन सीटों पर वोटिंग में 8.15 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। दूसरे फेज में भी वोटिंग का यही ट्रेंड रहा, तो मप्र में मतदान 60 प्रतिशत के पार पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि चुनाव आयोग वोटिंग बढ़ाने के प्रयासों में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। उधर, दूसरे फेज में देश की सभी 89 सीटों पर वोटिंग बढ़ाने को लेकर चुनाव आयोग एक्शन मोड में आ गया है। । मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा कर दूसरे फेज की वोटिंग को लेकर चर्चा की। उन्होंने सभी सीईओ को मतदाताओं को जागरूक करने के लिए स्वीप गतिविधियां तेज करने के निर्देश दिए।