युवाओं को राजनीति में मिले अधिक से अधिक मौका
भारत में एक पार्लियामैन्टिरियन की औसत आयु 50 वर्ष
युवा बड़ा सोचें, सोचें कि भारत को विश्व में नं. एक कैसे बनाएँ
मध्यप्रदेश में खेल की वर्ल्ड क्लास सुविधाएँ
यूथ महापंचायत में विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ युवाओं ने किया युवाओं को प्रेरित
भोपाल। युवाओं की अधिक से अधिक भागीदारी से ही लोकतंत्र सशक्त होगा। भारत में एक पार्लियामैन्टिरियन की औसत आयु 50 वर्ष है, जबकि विश्व के अन्य बड़े लोकतंत्रों में यह औसत काफी कम है। हमारे देश में युवाओं को राजनीति में अधिक से अधिक मौका मिलना चाहिए। लोकतंत्र में केवल वोट देने मात्र से हमारा लोकतंत्र महबूत नहीं होगा, अपितु युवाओं को आगे आकर चुनाव लड़ना चाहिए। स्वामी विवेकानंद, शहीद भगत सिंह, शहीद चंद्रशेखर आजाद जैसे युवाओं ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। युवा बड़ा सोचें, सोचें कि भारत को विश्व में नं. एक कैसे बनाएँ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में खेल की वर्ल्ड क्लास सुविधाएँ उपलब्ध हैं, इनका पूरा लाभ युवा लें। मध्यप्रदेश भारत का अग्रणी राज्य है। यहाँ विकास की अपार संभावनाएँ हैं। गत वर्ष यहाँ की विकास दर देश में सर्वाधिक 19 प्रतिशत रही। युवाओं को आगे आने वाले वर्षों में प्रदेश में सभी क्षेत्रों में देश में नं. 1 बनाने का संकल्प लेना चाहिए।
राज्य स्तरीय यूथ महापंचायत के दूसरे दिन आज रवीन्द्र भवन कन्वेंशन सेंटर में विभिन्न सत्र में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ युवाओं ने अपने ओजपूर्ण विचारों से युवाओं को प्रेरित किया। ‘लोकतंत्र के लिए युवा’ सत्र में प्रमुख वक्ता के रूप में पत्रकार प्रदीप भाटिया, पैनलिस्ट के रूप में जर्मनी के एड्रियन हैक, सरपंच सुश्री भक्ति शर्मा, प्रदेश की सबसे युवा महिला सरपंच सुश्री लक्षिका डाबर तथा मॉडरेटर के रूप में सुश्री रागेश्वरी आंजना ने हिस्सा लिया।
'यूथ फॉर सोशल कॉज' सत्र के प्रमुख वक्ता सौरभ द्विवेदी ने कहा कि युवा अपने लिये ऊँचे लक्ष्य निर्धारित कर पूरा करें। खुद से 4 सवाल पूछें- आपको क्या करने में मजा़ आता है, क्या काम करने में अच्छे हैं, कौन सा काम है जो पैसे भी दिलवा सकता है और दुनिया को किस चीज़ की जरूरत है। चारों का जवाब एक है, तो आपको उत्तर मिल गया। उन्होंने यूथ महापंचायत के सार्थक एवं सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया।
श्री द्विवेदी ने कहा कि माता-पिता कभी आउटडेटेड नहीं होते। नाते, रिश्तेदार, पड़ोसी आदि लगातार तुलना करते रहेंगे, सुझाव देते रहेंगे। प्रेशर में मत आइये, मुस्कुराकर आगे बढ़ते रहिये। धर्म, जाति, लिंग की संकीर्णता में मत फँसिये। किताबों से दोस्ती करिये, किताबें कभी आपकी जात-पाँत नहीं पूछती। ब्रांडेड कपड़ों के पीछे नहीं भागें, हमारा देश कपास का देश है, सूती कपड़े पहनें।
दक्षिण भारतीय अभिनेत्री और हाथकरघा की सशक्त प्रचारक, शांतिदूत सुश्री पूनम कौर ने कहा कि शांति और क्रांति दोनों लाना चाहिए। फैशन उद्योग ने प्रदूषित किया है। यह देश शांति का प्रतीक है, चरखे ने खून की नदियाँ बहने से रुकवा दी। मेरा सपना खादी और हाथकरघा को पुन: ऊँचाइयों पर पहुँचाना है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात दोहराते हुए कहा कि दुनिया को हमने बुद्ध दिये हैं, युद्ध नहीं।
आरूषि संस्था के सचिव अनिल मुद्गल ने बताया कि दृष्टिहीन रोहित द्विवेदी, जो वर्तमान में भोपाल में प्रोफेसर हैं, को छात्र जीवन में रीडर की आवश्यकता थी, जो उनके लिए लेक्चर बोल कर कैसेट में रिकॉर्ड कर सके और वे उन्हें सुन कर परीक्षा दे सकें। यह काम आज सभी दिव्यांगों के लिये आरूषि संस्था के रूप में साकार हो चुका है, जिसमें श्री गुलजार का अप्रतिम सहयोग मिल रहा है। दिव्यांग बच्चों का घर से बाहर निकलना बहुत जरूरी है। सामान्य स्कूलों में उनको प्रवेश दिया जाना चाहिए और दिव्यांग बच्चों से सीधे बात की जाना चाहिए। आरूषि संस्था उन्हें आत्म-निर्भर बनाती है।
साउथ अफ्रीकन टूरिज्म की हब हेड सुश्री नेलिस्वा एनकेनी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि मौसम कोई भी हो, वे रोज़ एक पौधा रोपते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश बहुत खूबसूरत है। यहाँ के लोग बहुत अच्छे हैं, यहाँ का यूथ किसी से कम नहीं। यह वह करेंसी है, जो डॉलर और यूरो से भी बेहतर है। भारत के प्रति अपने सुखद अनुभवों को बाँटते हुए वे काफी भावुक हो गईं। सत्र के मॉडरेटर आदित्य विजय सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कथन - युवा, देश की दिशा और दशा बदल सकते हैं, आज भी अक्षरश: सत्य है।
सत्र के समापन पर युवाओं ने वक्ताओं से सवाल भी पूछे। मुरैना के चन्द्रशेखर उपाध्याय ने पूछा कि-सोशल मीडिया पर शिक्षा कैसे प्राप्त हो सकती है। सौरभ द्विवेदी ने कहा कि नानी-दादी की प्रेरणादायक कहानियाँ और बुजुर्गों के अनुभव शेयर करें। पत्रकारों की कैसी भूमिका होनी चाहिए के जवाब में उन्होंने कहा कि - खबरें बेखौफ बनाएँ और खबरदार रखें। अपने देश से प्यार करें। उन्होंने अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद को याद करते हुए कहा कि "अब तक तेरा खून न खौला, तो खून नहीं पानी है। जो देश के काम न आये, बेकार वो जवानी है।‘’