हमीदिया अस्पताल अधीक्षक प्रकरण, बेनामी शिकायत पर 800 नर्सों की परेड
भोपाल । हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डा. दीपक मरावी के खिलाफ हुई बेनामी (जिसमें शिकायकर्ताओं का स्पष्ट नाम नहीं है) शिकायत, गांधी मेडिकल कालेज (जीएमसी) व हमीदिया अस्पताल के कई डाक्टर, अधिकारी, कर्मचारी व 800 नर्सों के लिए सिरदर्द बन गई है। इनका शिकायत से लेना-देना नहीं है, तब भी इन्हें स्वजनों व परिचितों की चिंताओं का जवाब देना पड़ रहा है। चूंकि मामला अश्लील हरकत करने व अभद्रता करने जैसे संगीन आरोपों से जुड़ा है। खासकर नर्सों द्वारा आरोप लगाने की बात सामने आई है, इसलिए नर्सों के स्वजन सबसे अधिक चिंतित बताए जा रहे हैं। मामले में शुक्रवार शाम 5.30 बजे तक 300 नर्सों ने लिखित बयान दिए हैं तो बाकी की नर्से बयान देने नहीं पहुंची हैं। गुरुवार को 22 नर्सें समिति के सामने गई थीं, जिन्होंने शिकायत करने से इंकार कर दिया था। समिति प्राप्त बयानों का अध्ययन कर रही है। बाकी नर्से शनिवार को बयान दर्ज कराएंगी। दरअसल, नर्सों को शुक्रवार सुबह से फोन व वाट्सएप पर समिति के सामने बयान देने के लिए कहा गया था। इन्हें बुलावा पत्र भेजा था। कुछ नर्सों को तो गुरुवार शाम को ही उनके वार्ड प्रभारी ने फोन कर बयान दर्ज कराने के लिए कहा था। इसके कारण इनके स्वजन चिंता में पड़ गए हैं। कुछ नर्सों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिकायत से उनका कोई लेना-देना नहीं है तब भी उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए कहा जा रहा है, जिसके चलते स्वजनों के मन में कई तरह की आशंकाएं हैं। नर्स सांभवी (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनके स्वजन कह रहे हैं कि जब आपने शिकायत ही नहीं की तो बयान देने की क्या जरूरत है और आपके पास फोन क्यों आ रहे हैं। यही हाल कई अन्य नर्सों का है। कुछ नर्सों ने बताया कि कुछ माह पूर्व ज्वाइन करने वाली 150 से अधिक नर्सों ने वाट्सएप नंबर बंद कर लिए हैं, 13 नर्से घरेलू काम व तबीयत खराब होने का कहकर अस्पताल नहीं आ रही है।
इधर बयान लेने से आगे नहीं बढ़ रही समिति
डा. मरावी पर लगे आरोपों को 15 दिन हो चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग द्वारा 14 जून को लिखे पत्र के के बाद जांच कमेटी बनी, जांच शुरू हुई लेकिन सूत्रों के अनुसार शुक्रवार शाम तक समिति बयान लेने से आगे नहीं बढ़ी है।
जांच समिति पर सवाल
- डा. मरावी जहां बैठते हैं, उनके साथ दूसरे अधिकारी, कर्मचारी भी बैठते हैं। महिलाएं भी उनमें शामिल हैं उनके बयान नहीं लिए।
- फुटेज नहीं देखे जबकि शिकायत में बताया कि दफ्तर में बुलाकर धमकाते थे, ऐसे में फुटेज में कुछ मिल सकता था।
- यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायत है, जीएमसी में पहले से यह समिति थी। यदि शिकायत सही है तो समिति को यह शिकायत मिलनी थी जो कि नहीं मिली। माना जा रहा है कि संवाद की कमी का नतीजा है। समिति ने स्वत: संज्ञान भी नहीं लिया था। मामला बाहर निकला और अब हमीदिया व शासन-प्रशासन की छवि पर सवाल उठ रहे हैं।
यह भी चर्चा
- समिति ने बयान देने के लिए एक फार्मेट दिया है, जिससे नर्सें नाखुश हैं।
- कुछ नर्सों ने कहा- समिति से दो जांच अधिकारी बदले जाएं, इस पर विचार किया जा रहा है।
- कुछ नर्सों ने जांच का स्थान बदलने की मांग की है, जो कि संभागायुक्त कार्यालय हो सकता है।