महंगाई की मार, सोयाबीन का बीज 10 हजार के पार
भोपाल । किसानों को कृषि विभाग ने इस बार की बोवनी के सीजन में एक और झटका दिया है। खाद पहले से ही अब महंगा हो चुका है वहीं, सोयाबीन के बीज के भाव में भी बढ़ोतरी की गई है। दरअसल, शासन स्तर पर प्रमाणित बीज पर सरकार ने 2600 रुपए इस बार बढ़ा दिए हैं। 7,500 की बजाए इस बार 10,100 रुपए प्रति क्विंटल में सोयाबीन का बीज कृषि विभाग मुहैया करवा रहा है। उसमें विभाग का तर्क है कि 2 हजार रुपए की सब्सिडी किसानों के खाते में कुछ माह बाद आएगी। हालांकि यह तय नहीं है कि वह छह माह बाद आएगी, एक माह बाद आएगी या काफी बाद आएगी?
बढ़ते हुए बीज के भाव से किसानों के जेब पर सीधा असर पड़ा है। हालांकि इतनी दरें बढऩे के बावजूद सोसायटियों और कृषि विभाग के पास बीज की किल्लत बनी हुई है। बता दें कि अधिकतर किसानों की पहली पसंद 9560 वैरायटी है लेकिन विभाग के पास सफेद फूल वाली 2034 ही उपलब्ध है। कुल मिलाकर किसानों के जरूरत के समय विभाग के पास पर्याप्त बीज नहीं है। इधर, शासन स्तर पर भाव भी मनमाने बढ़ा देने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।
न रसीद, न पावती... सब्सिडी भगवान भरोसे
किसानों का कहना है कि शासन स्तर पर दिए जाने वाले बीज में न रसीद दी जा रही है न ही किसी प्रकार की पावती। उन्हें कहा जा रहा है कि आप सिर्फ नगद 10 हजार 100 रुपए दो और बीज लो, बाकि किसानों को बाद में सब्सिडी खाते में ही आएगी। अभी नगदी ही देना होंगे। यानि निजी दुकानों की तर्ज पर यहां नगद राशि देना अनिवार्य है। कुछ किसानों का कहना है कि हमें पिछले साल की सब्सिडी ही अभी तक नहीं मिल पाई है। ऐसे में वर्तमान में कैसे मिल पाएगी? बाद में कब आएगी इसका भगवना ही मालिक है?
आपकी सोयाबीन पांच हजार, आपको देने में हो गई 10,100 रुपए
किसानों के साथ ही यह सीधे तौर पर छलावा ही है। आम तौर पर जब सोयाबीन बेची जाती है तो पांच हजार से छह हजार के बीच भाव रहता है। छह हजार का भाव भी इस बार सालों बाद आया है। अब उसी सोयाबीन को फिल्टर कर 10 हजार 100 रुपए क्विंटल में यहां बेचा जा रहा है। ऐसी स्थिति में कैसे खेती लाभ का धंधा बन पाएगी? किसानों का कहना है कि हमसे खरीदते समय किसी को भाव बढ़ाने की याद नहीं आती, अब जब बोवनी की जाना है तो स्वत: ही भाव बढ़ा दिए गए। दरें शासन स्तर पर ही तय हुई है, दो हजार की सब्सिडी भी उस पर मिलना है। किसानों के हित में जो शासन स्तर पर निर्णय लिए जाते हैं, उसी के अनुरूप किसानों को यह दी जाती है। जहां तक बाद बीज की उपलब्धता की है तो वह हमारे पास पर्याप्त है।