वन विहार के मादा सिंह वरू ने भी कह दिया अलविदा
भोपाल । राजधानी के वनविहार में रहने वाला मादा सिंह वरु दुनिया से रुखसत हो गया। इसकी उम्र पंद्रह साल हो चुकी थी। वरु कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। उसने खाना-पीना छोड दिया था और वह कमजोर हो गया था। प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट शाम को ही आ गई थी, लेकिन मौत का कारण पता नहीं चला है। इसके कारण उसके अंगों को जांच के लिए राज्य पशु चिकित्सालय जहांगीराबाद व जबलपुर लैब प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। इसके पूर्व वन विहार नेशनल पार्क प्रसिद्ध सिंह लांबा व देश के सबसे उम्रदराज भालू गुलाबों को खो चुका है। इनकी मौत भी अधिक उम्र होने के कारण हुई थी। वन्यप्राणियों के लगातार निधन से सैलानी भी दुखी हैं। बता दें कि 14 अप्रैल 2017 को असम के गुवाहटी चिड़ियाघर से सिंह के दो जोड़े वन विहार लाए गए थे। इनमें दो मादा व दो नर सिंह शामिल थे। इन्हीं में एक वरू भी शामिल थी। तब उसकी उम्र 10 वर्ष थी और वह, उस जोड़े की सबसे स्वस्थ मादा सिंह थी। वरू की मौत से पहले इसी चिड़ियाघर से लाए गए नर सिंह लांबा की भी मौत हो चुकी है। मालूम हो कि सिंह लांबा मौत को एक वर्ष हो चुका है। इसे भी वरु के साथ असम से लाए थे। मौत के समय उसकी उम्र 17 वर्ष थी। सबसे उम्रदराज था। अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। इस तरह मादा भालू गुलाबो देश की सबसे उम्रदराज मादा भालू थी, जिसकी मौत 10 व 11 जनवरी 2022 की दरमियानी रात को हुई थी। वह 40 वर्ष की थी। उसके बच्चे नहीं थे। उसे 25 वर्ष की उम्र में मदारियों से आजाद कराया गया था। बाघिन मचमची की11 मई 2022 को 11 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी। उसे 24 अक्टूबर 2018 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाया गया था। तब उसकी उम्र आठ वर्ष थी। उसके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई थी।बाघ मुन्ना की 19 वर्ष की उम्र में सात मार्च 2021 को मौत् हो गई थी। वह दुनिया भर में सिर पर कैट व पीएम अक्षरों की आकृति के लिए जाना जाता था। मूलत: वह कान्हा नेशनल पार्क का सबसे प्रिय बाघ था, जिसे पर्यटक देखने के लिए आते थे। दांत टूटने व शिकार में दिक्कतों के कारण उसे वन विहार लाया गया था। उम्रदराज होने के कारण मौत हुई थी।