542 सरकारी कालेज में छह हजार शिक्षकों के पद खाली
भोपाल । मध्यप्रदेश के 542 सरकारी कालेजों में छह हजार शिक्षकों के पद खाली है। उच्च शिक्षा विभाग ने अब भर्ती के कई पद स्वीकृत किए हैं। ऐसे में कालेजों में शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू किए पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कैसे हो पाएगी। यह विचारणीय प्रश्न है।
उधर राज्य शासन द्वारा राजगढ़ के शासकीय व्यावसायिक महाविद्यालय प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान करते हुए 30 शैक्षणिक और 43 गैर-शैक्षणिक पदों के सृजन की स्वीकृति प्रदान की है। गैर शैक्षणिक पदों में 29 पद महाविद्यालय और 14 पद छात्रावास के लिए स्वीकृत किए गए हैं। यहां पर सालों से पद खाली होने के कारण शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उच्च शिक्षा विभाग ने जारी आदेश में शैक्षणिक पदों में प्राचार्य (स्नातक स्तर) का एक, सहायक प्राध्यापक (हिंदी) और सहायक प्राध्यापक (अंग्रेजी) के दो-दो, सहायक प्राध्यापक (कम्प्यूटर एप्लीकेशन) के पांच, सहायक प्राध्यापक (रिन्यूएबल एनर्जी), सहायक प्राध्यापक (गणित), सहायक प्राध्यापक (फैशन डिजाइन), सहायक प्राध्यापक (फूड साइंस एवं टेक्नाेलाजी), सहायक प्राध्यापक (इंटीरियर डिजाइन) और सहायक प्राध्यापक (बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) के तीन-तीन और क्रीड़ा अधिकारी एवं ग्रंथपाल का एक-एक पद स्वीकृत किया है। गैर-शैक्षणिक पद में मुख्य लिपिक एवं लेखापाल का एक-एक, सहायक वर्ग-2 एवं सहायक वर्ग-3 के दो-दो, प्रयोगशाला तकनीशियन, प्रयोगशाला परिचारक एवं बुक लिफ्टर के पांच-पांच, भृत्य के दो और स्वीपर एवं चौकीदार के तीन-तीन पद स्वीकृत किए गए हैं। इसी प्रकार छात्रावास के लिए गैर-शैक्षणिक पदों में हास्टल मैनेजर के दो (एक कन्या एवं एक पुरूष छात्रावास के लिए) और भृत्य के दो (एक कन्या एवं एक पुरूष छात्रावास के लिए), स्वीपर के चार (दो कन्या एवं दो पुरुष छात्रावास के लिए) और चौकीदार के छह पद (तीन कन्या एवं तीन पुरुष छात्रावास के लिए) स्वीकृत किए गए हैं।
बता दें, कि प्रदेश के कालेजों में 12 हजार 87 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, जबकि 6,941 पद भरे हैं और 5146 पद खाली है। ऐसे में मार्च में उच्च शिक्षा मंत्री ने 1500 पद इस सत्र में भरने के आदेश दिए थे। कई सरकारी कालेजों में अतिथि विद्वानों के भरोसे पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। अब ऐसे में शिक्षकों के करीब छह हजार पद खाली है। ऐसे में पढ़ाई कैसे होगी] यह गंभीर चिंतन का विषय है।